इस लेख में हम उत्तर प्रदेश के प्रमुख संग्रहालय के बारे में विस्तृत रूप से जानेंगे, लेकिन उससे पहले हम यह जानेंगे कि संग्रहालय क्या होते हैं और उनका क्या महत्व होता है-
संग्रहालय की परिभाषा एवं महत्व
संग्रहालय एक ऐसी संस्था होती है जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, कलात्मक, या वैज्ञानिक महत्व की कलाकृतियों और अन्य वस्तुओं के संग्रह की देखभाल करती है।
संग्रहालय में रखी हुई वस्तुओं को देखकर न केवल हम रोमांचित होते हैं, बल्कि इससे हमें हमारे देश के इतिहास, संस्कृति, सभ्यता, धर्म, कला, वास्तुकला आदि क बारे में पता चलता है । संग्रहालय देश के पर्यटन की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे लाखों अंतरराष्ट्रीय और घरेलू पर्यटक आकर्षित होते हैं।
संग्रहालय सभी उम्र और पृष्ठभूमि के लोगों को विभिन्न संस्कृतियों को सीखने और तलाशने का अवसर प्रदान करते हैं। संग्रहालय दुनिया में एक अनूठा दृश्य पेश करते हैं, जो बहुत समय पहले चले गए हैं या भविष्य की पीढ़ियों के साथ मौजूद नहीं हो सकते हैं या जिन्हें केवल कागज या स्क्रीन पर पढ़ा और देखा जा सकता है, संग्रहालय लोगों को उन चीजों का अनुभव करने का मौका देते हैं ।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख संग्रहालय
उत्तर प्रदेश में विभिन्न संस्थाओं जैसे राज्य सरकार, नगर पालिका एवं ट्रस्ट आदि द्वारा स्थापित संग्रहालय हैं; जो निम्न प्रकार हैं-
उत्तर प्रदेश राजकीय संग्रहालय
उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक, पुरातात्विक, धार्मिक, कलात्मक, साहित्यिक एवं अन्य विशिष्ट धरोहरों को सुरक्षित एवं संरक्षित करने के लिए राज्य संस्कृति निदेशालय के अंतर्गत कई राजकीय संग्रहालय हैं ।
यह सभी संग्रहालय 31 अगस्त 2002 को नवगठित उत्तर प्रदेश संग्रहालय निदेशालय के अधीन आ गए हैं । उत्तर प्रदेश के राजकीय संग्रहालय निम्न प्रकार हैं-
राजकीय संग्रहालय, लखनऊ– यह उत्तर प्रदेश का सबसे पुराना एवं बड़ा बहुउद्देशीय संग्रहालय है । इसकी स्थापना वर्ष 1863 में हुई थी । यह संग्रहालय लखनऊ में बनारसी बाग के प्राणी उद्यान में स्थित है ।
राजकीय संग्रहालय, मथुरा- इस संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1874 में हुई थी । मथुरा स्थित यह संग्रहालय अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है । यह मथुरा की कुषाण एवं गुप्त युगीन संस्कृति का एकमात्र संग्रहालय है । इस संग्रहालय में प्रारंभिक काल से लेकर 12 वीं शताब्दी तक की भारतीय कला की विशिष्ट एवं अद्भुत कला संपदा संग्रहीत है । इसी संग्रहालय में नेहरू जी और शास्त्री जी के अस्थि कलश भी रखे गए हैं ।
राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर- इस संग्रहालय की स्थापना गोरखपुर स्थित रामगढ़ परियोजना के तहत वर्ष 1988 में हुई थी । इस संग्रहालय में संग्रहीत कलाकृतियों में बौद्ध, जैन एवं हिंदू धर्म से संबंधित प्रस्तर मूर्तियां, मृण्ममूर्तियाँ, वास्तु कला के अवशेष, धातु प्रतिमाएं, लघु चित्र, थंका एवं सिक्के विशेष रूप से उल्लेखनीय है ।
संग्रहालय में जनसामान्य के अवलोकन के लिए 5 वीथिकाएं (Galleries) खुली हुई हैं ।
राजकीय संग्रहालय, झांसी- इस संग्रहालय की स्थापना उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा वर्ष 1978 में की गई थी । इस संग्रहालय की स्थापना संरक्षण, अभिलेखीकरण, प्रदर्शन, प्रकाशन, अधिग्रहण एवं शोध करने के उद्देश्य की गई थी ।
लोक कला संग्रहालय, लखनऊ- इस संग्रहालय की स्थापना फरवरी 1989 में की गई थी । यह संग्रहालय लखनऊ कैसरबाग में स्थित है । इस संग्रहालय की स्थापना लोक कलाओं के संकलन, संरक्षण एवं प्रदर्शन के लिए की गई है । इसमें ऐसी बहुत सी उत्कृष्ट एवं दुर्लभ कलाकृतियों का संग्रह है जिनका प्रचलन आजकल या तो लगभग समाप्त प्राय है या जिनका मूल स्वरूप परिवर्तित हो गया है ।
इस संग्रहालय में लोक नृत्यों के डायरमा, लोक आलेखन, लोक वाद्ययंत्र, लोक आभूषण, मुखोटे, बर्तन, खिलौने, पोशाक, लकड़ी, पत्थर एवं लोहे निर्मित प्रदर्श आदि संग्रहीत हैं । इसमें क्षेत्रवार अलग-अलग प्रदर्शन के उद्देश्य प्रदेश के पांच प्रमुख क्षेत्रों की अलग-अलग 5 वीथिकाओं ( Galleries) अवध, भोजपुरी, बृज, बुंदेलखंड एवं रुहेलखंड का निर्माण कराया गया है ।
अंतर्राष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय एवं आर्ट गैलरी, अयोध्या- इस संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1988 में तुलसी स्मारक भवन अयोध्या में की गई थी । इस संग्रहालय में रामकथा विषयक चित्रों, सचित्र पांडुलिपियों, मूर्तियों, रामलीला व प्रदर्श कलाओं से संबंधित सामग्री, अयोध्या परिक्षेत्र के पुरावशेष आदि संग्रहीत हैं ।
जनपदीय संग्रहालय, सुल्तानपुर- इस संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1989 में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में की गई थी । इस जिले में अनेक महत्वपूर्ण पुरास्थलों जैसे शनिचरा कुंड, भांटी, सोमना भार और कालू पाठक का पुरवा आदि स्थानों पर पुरा-सांस्कृतिक संपदा बिखरी पड़ी है । इसके अलावा आसपास के जनपदों में भी धरती के गर्भ से बराबर अतीत की धरोहरें निकलती रहती है । इन सभी संपदाओं को संकलित एवं सुरक्षित करने के लिए इस संग्रहालय की स्थापना की गई थी ।
राजकीय बौद्ध संग्रहालय, कुशीनगर- इस संग्रहालय की स्थापना संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा वर्ष 1995 में की गई थी । इस संग्रहालय में वनरसिया कला, कोपिया, देवदह आदि बौद्ध पुरास्थल एवं पावा नामक जैन स्थल से प्राप्त पुरावशेष संग्रहीत हैं ।
राजकीय पुरातत्व संग्रहालय, कन्नौज- इस पुरातत्व संग्रहालय की स्थापना स्थानीय स्तर पर वर्ष 1975 में की गई थी, जिसे 1996 में राजकीय पुरातत्व संग्रहालय बना दिया गया । इस संग्रहालय में प्रागैतिहासिक अस्थि उपकरण, महाभारत कालीन सिलेटी भूरे चित्रित पात्र, उतरी कृष्ण मार्जित मृदभांड, मूर्तियाँ, सील, सिक्के, हाथी दांत की कलाकृतियां, मनके, पाषाण प्रतिमाएं संग्रहीत हैं । यह संग्रहालय प्रतिहार काल की कलाकृतियों के लिए विश्वविख्यात है ।
स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय, मेरठ- इस संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1996-97 हुई थी । इसका औपचारिक लोकार्पण 10 मई 2007 को किया गया था । इस संग्रहालय में प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के योगदान के प्रदर्शन एवं उनसे जुड़ी सामग्रियों को संग्रहीत किया गया है ।
राजकीय बौद्ध संग्रहालय पिपरहवां, सिद्धार्थनगर- इस संग्रहालय की स्थापना 1997 में की गई थी । इस संग्रहालय में बुद्ध के अस्थि अवशेषों से भरा हुआ कलश, जिस पर ब्राह्मी एवं खरोष्ठी लिपियों में लेख लिखा है, रखा गया है । इस संग्रहालय में बौद्ध धर्म से संबंधित अतीत की संपदाओं को संग्रहित किया गया है ।
डॉ भीमराव अंबेडकर संग्रहालय एवं पुस्तकालय, रामपुर- इस संग्रहालय की स्थापना 21 अगस्त 2004 को की गई है । यह संग्रहालय आधुनिक व्यवस्थाओं एवं सुविधाओं से सुसज्जित है । इस संग्रहालय को दो वीथिकाओं ( Galleries) में विभाजित किया गया है । प्रथम वीथिका (Gallery) में बौद्ध धर्म से संबंधित कालों में अनेक स्थानों से प्राप्त अनुकृतियों को कालक्रमानुसार पेडेस्टल पर प्रदर्शित किया गया है तथा दूसरी वीथिका में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जीवन से संबंधित घटनाओं पर आधारित चित्रों को प्रदर्शित किया गया है ।
इस संग्रहालय के मुख्य द्वार पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को कालक्रमानुसार लिपिबद्ध कर प्रदर्शित किया गया है ।
उत्तर प्रदेश के अन्य प्रमुख संग्रहालय
संग्रहालय का नाम | स्थान | स्थापना वर्ष |
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मोतीलाल नेहरू बाल संग्रहालय | लखनऊ | 1957 |
प्रांतीय हाइजीन इंस्टिट्यूट | लखनऊ | 1928 |
सारनाथ संग्रहालय | सारनाथ, वाराणसी | 1904 |
भारत कला भवन | वाराणसी | 1920 |
इलाहाबाद संग्रहालय | प्रयागराज | 1931 |
पं. राहुल सांकृत्यायन संस्थान | गोरखपुर | |
बुंदेलखंड छत्रसाल संग्रहालय | बांदा | 1955 |
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बहुत हेल्पफुल है सर