उत्तर प्रदेश में कृषि

उत्तर प्रदेश में कृषि

उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है । उत्तर प्रदेश अनुकूल भौगोलिक संरचनाओं के कारण कृषि की दृष्टि से एक संपन्न राज्य है । 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश की कुल कार्यशील जनसंख्या के 59.3% लोग कृषि एवं कृषि से संबंधित कार्यों से जुड़े हुए हैं; इसमें से 29.0% लोग कृषक एवं 30.3% लोग कृषि श्रमिक हैं ।

उत्तर प्रदेश में कृषि जलवायु क्षेत्र

उत्तर प्रदेश को वर्षा, भू-भाग, तापक्रम और मिट्टी की विशेषताओं के आधार पर 9 कृषि जलवायु क्षेत्रों में बांटा गया है।

  1. भाबर और तराई क्षेत्र
  2. पश्चिमी मैदानी क्षेत्र
  3. मध्य पश्चिमी मैदानी क्षेत्र
  4. दक्षिण-पश्चिमी उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र
  5. मध्य मैदानी क्षेत्र
  6. बुंदेलखंड क्षेत्र
  7. पूर्वी मैदानी क्षेत्र
  8. उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र
  9. विंध्य क्षेत्र
कृषि जलवायु क्षेत्र का नामअंतर्गत आने वाले क्षेत्र
भाबर और तराई क्षेत्रइसके अंतर्गत हिमालय की तलहटी वाले क्षेत्र आते हैं । जिसमें सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, रामपुर, मुरादाबाद, बरेली, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती आदि जिलों के उत्तरी भाग आते हैं ।
पश्चिमी मैदानी क्षेत्रइसके अंतर्गत मेरठ मंडल एवं आसपास के क्षेत्र आते हैं ।
मध्य पश्चिमी मैदानी क्षेत्रइसके अंतर्गत बरेली एवं मुरादाबाद मंडल के क्षेत्र आते हैं ।
दक्षिण-पश्चिमी उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रइसके अंतर्गत आगरा मंडल एवं आसपास के क्षेत्र आते हैं ।
मध्य मैदानी क्षेत्रइसके अंतर्गत कानपुर एवं लखनऊ मंडल तथा कुछ फतेहपुर जिले के क्षेत्र आते हैं ।
बुंदेलखंड क्षेत्रइसके अंतर्गत झांसी एवं चित्रकूट मंडल के क्षेत्र आते हैं ।
पूर्वी मैदानी क्षेत्रइसके अंतर्गत वाराणसी मण्डल, अयोध्या मण्डल, आजमगढ मण्डल तथा प्रयागराज मंडल के कुछ क्षेत्र आते हैं ।
उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रइसके अंतर्गत गोरखपुर मंडल सहित गोंडा तक का क्षेत्र आता है ।
विंध्य क्षेत्रइसके अंतर्गत मिर्जापुर सोनभद्र तथा दक्षिणी प्रयागराज के क्षेत्र आते हैं ।

उत्तर प्रदेश में फसल उत्पादन

उत्तर प्रदेश में ऋतुओं के आधार पर पर तीन प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं-

  1. खरीफ की फसलें
  2. रबी की फसलें
  3. जायद की फसलें

खरीफ की फसलें- खरीफ की फसलों को ऊंचे तापक्रम व अधिक जल की आवश्यकता होती है । इन फसलों की बुवाई मई से जुलाई तक की जा सकती है तथा इन फसलों की कटाई सितंबर से अक्टूबर माह तक कर ली जाती है । इसके अंतर्गत मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, मूंग, लोबिया, सोयाबीन, सावां, कोदों, ढैंचा, मूंगफली, कपास व जूट आदि फसलें आती हैं । दक्षिणी भारत में ऊंचे तापक्रम व आर्द्रता के कारण इनमें से अधिकांश फसलें रबी की ऋतुओं में भी उगाते हैं ।

रबी की फसलें- इस वर्ग की फसलों के अंकुरण व प्रारंभिक वृद्धि के लिए ठंडी जलवायु तथा अल्प-प्रकाशकाल (Short photoperiod) की आवश्यकता होती है । इनको पकने के लिए उच्च तापक्रम तथा दीर्घ प्रदीप्तिकाल की आवश्यकता होती है । रबी की फसलों की बुवाई अक्टूबर-नवंबर एवं दिसंबर माह के अंत तक करते हैं । इसके अंतर्गत गेहूं, जौ, जई, चना, मटर, सरसों, लाही, आलू, तंबाकू व बरसीम आदि फसलें आती हैं ।

जायद की फसलें- इस वर्ग की फसलों को वृद्धि करने के लिए अधिक तापक्रम व अधिक-प्रकाशकाल (Long photoperiod) की आवश्यकता होती है तथा इस वर्ग की फसलों में सूखा और लू सहन करने की अपेक्षाकृत अधिक क्षमता होती है । इन फसलों की बुवाई मार्च-अप्रैल में करते हैं तथा जून जुलाई माह तक की कटाई कर ली जाती है । इसके अंतर्गत खीरा, ककड़ी, खरबूज, तरबूज, लौकी, मूंग, लोबिया आदि फसलें आती हैं ।

उत्तर प्रदेश में उगाई जाने वाली कुछ प्रमुख फसलों के बारे में संक्षिप्त में वर्णन निम्न प्रकार है-

गेहूं- गेहूं की खेती के लिए 60-90 सेमी. वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है तथा अंकुरण के लिए 20⁰C तापमान उचित होता है । उत्तर प्रदेश में नवंबर के प्रथम सप्ताह से मध्य दिसंबर तक गेहूं की बुवाई की जा सकती है । प्रदेश में गेहूं सर्वाधिक उत्पादकता गंगा-घागरा दोआब क्षेत्र की है ।

चना- चना की खेती के लिए 40-50 सेमी वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है तथा अंकुरण के लिए 20-25⁰C तापमान उचित होता है । चने की खेती के लिए हल्की व शुष्क मृदायें उपयुक्त होती हैं । सामान्यतः उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में चने की खेती की जाती है लेकिन प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में सर्वाधिक चने की खेती की जाती है ।

उत्तर प्रदेश में चने की खेती में हमीरपुर, जालौ,न झांसी, ललितपुर, चित्रकूट, महोबा, कानपुर, सोनभद्र, आगरा, बाराबंकी आदि जिलों का प्रमुख स्थान है ।

तंबाकू- तंबाकू एक नकदी फसल (Cash crop) है । उत्तर प्रदेश में तंबाकू की खेती फर्रुखाबाद, मैनपुरी, कासगंज, बुलंदशहर तथा गोंडा जिलों में की जाती है ।

धान – धान की खेती के लिए अधिक जल की आवश्यकता होती है । धान की खेती सामान्यता सभी मृदाओं में की जा सकती है लेकिन भारी दोमट भूमि जिसका जल निकास अच्छा हो, धान की खेती के लिए अच्छी होती है । धान की खेती के लिए अधिक जल धारण क्षमता वाली मृदायें उपयुक्त होती हैं ।

उत्तर प्रदेश में धान की खेती शाहजहांपुर, लखीमपुर-खीरी, बाराबंकी, पीलीभीत, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर, बस्ती, गोंडा, बहराइच, देवरिया आदि जिलों में प्रमुख रूप से की जाती है ।

गन्ना- गन्ना उत्तर प्रदेश की सर्वाधिक महत्वपूर्ण नकदी फसल है । प्रदेश में दो प्रमुख गन्ना उत्पादक क्षेत्र हैं-

  • तराई क्षेत्र
  • गंगा यमुना का दोआब क्षेत्र

तराई क्षेत्र के प्रमुख गन्ना उत्पादक जिले रामपुर, बरेली, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, गोरखपुर तथा देवरिया है । तथा गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र के प्रमुख गन्ना उत्पादक जिले सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, गाजियाबाद, शामली, हापुड़, अलीगढ़ तथा संभल आदि हैं ।

कपास- उत्तर प्रदेश में कपास की खेती गंगा यमुना दोआब क्षेत्र, रूहेलखण्ड एवं बुंदेलखंड क्षेत्रों में की जाती है । जिसके अंतर्गत सहारनपुर, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, बुलंदशहर, आगरा, मेरठ, मुजफ्फरनगर, फिरोजाबाद, इटावा, कानपुर, रामपुर, बरेली, मैनपुरी जिले आते हैं ।

अफीम- उत्तर प्रदेश में अफीम की सर्वाधिक खेती बाराबंकी तथा गाजीपुर जिले की जाती है । गाजीपुर में प्रदेश की एकमात्र अफीम की फैक्ट्री है ।

उत्तर प्रदेश के प्रमुख फल उत्पादक जिले

उत्तर प्रदेश में आम, अमरूद, केला, पपीता, आंवला, लीची, बेर, नींबू आदि फलों का उत्पादन किया जाता है । प्रमुख फल एवं उनके उत्पादक क्षेत्र निम्न प्रकार हैं-

आम- उत्तर प्रदेश में आम का उत्पादन प्रमुख रूप से सहारनपुर, लखनऊ तथा बुलंदशहर जिलों में किया जाता है। इसके अलावा अन्य उत्पादक जिले बाराबंकी, उन्नाव, सीतापुर, बरेली, मेरठ, मुरादाबाद, गाजियाबाद, वाराणसी, हरदोई आदि हैं ।

प्रदेश में आम की विभिन्न प्रजातियों के आम का उत्पादन किया जाता है । जिनमें से लखनऊ का मलीहाबादी व दशहरी, सहारनपुर का सफेदा व चौसा, मेरठ व बागपत का रटौल तथा वाराणसी का लंगड़ा आम प्रसिद्ध है । उत्तर प्रदेश में उत्पादित आम को देश के विभिन्न शहरों में “नवाब ब्रांड” नाम से प्रचारित किया जाता है ।

अमरूद- उत्तर प्रदेश में अमरूद की खेती प्रयागराज, कौशांबी, बदायूं, कानपुर, बरेली, अयोध्या तथा शाहजहांपुर जिलों में की जाती है ।

आंवला- उत्तर प्रदेश में आंवले की खेती विशेष रूप से प्रतापगढ़ जिले में तथा सामान्य रूप से प्रदेश के कई जिलों में की जाती है ।

केला- उत्तर प्रदेश में वाराणसी, कौशांबी, प्रयागराज तथा गोरखपुर जिलों में बड़े पैमाने पर केला की खेती की जाती है । प्रयागराज में उत्तर प्रदेश का पहला राइपनिंग चेंबर (केला पकाने का संयंत्र) लगाया जा रहा है ।

कुछ अन्य फलों एवं उनके उत्पादक क्षेत्र निम्न तालिका में दिए गए हैं-

फल का नामउत्पादक क्षेत्र
शफ्तालू शफ्तालू का उत्पादन प्रदेश के पश्चिमी जिलों तथा लखनऊ में किया जाता है ।
लीचीलीची का उत्पादन प्रदेश के सहारनपुर और मेरठ जिलों में किया जाता है ।
माल्टामाल्टा का उत्पादन उत्तर प्रदेश के मेरठ, सहारनपुर और वाराणसी जिलों में किया जाता है ।
नींबूसामान्य रूप से नींबू प्रदेश के सभी क्षेत्रों में उत्पादित किया जाता है लेकिन विशेष रूप से नींबू का उत्पादन बुंदेलखंड क्षेत्र में किया जाता है ।
संतरासंतरा की खेती सहारनपुर के आसपास के क्षेत्रों में तथा बुंदेलखंड के कुछ जिलों में की जाती है ।
पपीतापपीता का उत्पादन सहारनपुर, उन्नाव, लखनऊ, अयोध्या आदि जिलों में किया जाता है ।

उत्तर प्रदेश में सब्जी एवं मसाला उत्पादन

उत्तर प्रदेश में विभिन्न सब्जियों एवं मसालों की खेती की जाती है । जिनमें से प्रमुख सब्जी एवं मसाले तथा उनके उत्पादक क्षेत्र निम्न प्रकार हैं-

आलू- देश में आलू उत्पादन में उत्तर प्रदेश का प्रथम स्थान है सामान्यता पूरे उत्तर प्रदेश में आलू की खेती की जाती है । लेकिन इसके प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में फर्रुखाबाद, हाथरस, इटावा, आगरा, कन्नौज, मेरठ, बदायूं, फिरोजाबाद, रामपुर, अलीगढ़, गाजियाबाद, बागपत आदि जिले आते हैं ।

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला से प्राप्त आलू के प्रजनक बीज (Breeder seed) को राज्य के 19 राजकीय आलू बीज संवर्धन प्रक्षेत्रों द्वारा संवर्धित करके पूरे प्रदेश में वितरित किया जाता है । उत्तर प्रदेश के तीन कृषि निर्यातक क्षेत्रों- लखनऊ, सहारनपुर, आगरा में से आगरा को आलू के लिए स्थापित किया गया है । प्रदेश के आलू को देश के विभिन्न भागों में “ताज ब्रांड” के नाम से बेचा जाता है ।

कुछ अन्य सब्जी व मसाले तथा उनके उत्पादक क्षेत्र निम्न तालिका में दिए गए हैं-

हल्दीदेश में हल्दी उत्पादन में उत्तर प्रदेश का प्रथम स्थान है । प्रदेश में हल्दी की खेती मुख्य रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र में की जाती है ।
अदरकउत्तर प्रदेश में अदरक की खेती में बुंदेलखंड क्षेत्र में मुख्य रूप से की जाती है ।
प्याजउत्तर प्रदेश में व्यापक पैमाने पर प्याज की खेती फर्रुखाबाद, बदायूं, मैनपुरी, इटावा, कन्नौज, एटा, फिरोजाबाद आदि जिलों में की जाती है ।
लहसुनउत्तर प्रदेश में व्यापक पैमाने पर लहसुन की खेती फर्रुखाबाद, बदायूं, मैनपुरी, इटावा, कन्नौज, एटा, फिरोजाबाद आदि जिलों में की जाती है ।
धनिया, सौंफउत्तर प्रदेश में धनिया व सौंफ की खेती देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर, आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, सुल्तानपुर, अयोध्या, अंबेडकर नगर आदि जिलों में की जाती है ।

औषधीय पौधों की खेती

उत्तर प्रदेश में एलोवेरा (घृतकुमारी,) ब्राह्मी, पिपरमेंट, मेंथा, तुलसी, सफेद मूसली, शतावरी, सर्पगंधा, शंखपुष्पी, अश्वगंधा, पामारोजा, लेमन ग्रास, जिरेनियम, खस, सदाबहार, ईसबगोल आदि पौधों की खेती के लिए राज्य उद्यान विभाग द्वारा किसानों को अनेक तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं ।

  • प्रदेश के मेरठ तथा सहारनपुर मंडलों में निजी स्तर पर एलोवेरा, आंवला, अश्वगंधा, ब्राह्मी आदि की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है ।
  • बाराबंकी, बदायूं , रामपुर आदि जिलों में मेंथा तेल उद्योग स्थापित हैं । मेंथा ऑयल शुद्धता की जांच के लिए कन्नौज में “फ्रगनेंस एंड फ्लेवर डेवलपमेंट सेंटर” की स्थापना की गई है ।

पान की खेती- उत्तर प्रदेश के महोबा, बांदा, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़, बलिया, गाजीपुर, अमेठी, मिर्जापुर, सोनभद्र, ललितपुर, कानपुर, जौनपुर, प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, सुल्तानपुर, आजमगढ़, सहित कई जिलों में पान की खेती होती है । लेकिन प्रदेश में महोबा पान की खेती के लिए विशेष रूप से जाना जाता है ।

जटरोफा (रतनजोत)- जटरोफा की बीजों से प्राप्त तेल का उपयोग बायोडीजल के रूप में किया जाता है। उत्तर प्रदेश में जटरोफा की खेती पर विशेष बल दिया जा रहा है ।

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