उत्तर प्रदेश में ऊर्जा की आवश्यकता व्यापारिक (विद्युत, पेट्रोलियम, कोयला, आणविक, रासायनिक आदि स्रोत) तथा गैर-व्यापारिक (लकड़ी उपले एवं व्यर्थ पदार्थ आदि) दोनों ही साधनों से पूरी की जाती रही है । लेकिन बदलती परिस्थितियों में गैर व्यापारिक ऊर्जा स्रोतों का महत्व धीरे-धीरे कम होता जा रहा है तथा व्यापारिक स्रोतों का महत्व बढ़ता जा रहा है।
इनमें भी विद्युत ऊर्जा का विशेष तौर पर। पारंपरिक रूप से उत्तर प्रदेश में विद्युत ऊर्जा उत्पादन के दो स्रोत जल और कोयला रहे हैं। लेकिन बदलती परिस्थितियों में पारंपरिक स्रोतों के साथ ही गैर पारंपरिक स्रोतों (सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जैव, कचरा, भू-तापीय आदि) के विकास पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
विद्युत सुधारों के क्रम में पहला कदम 1998 उठाया गया, जब केंद्र के विद्युत नियामक आयोग एक्ट 1998 के तहत शुल्कों के स्वतंत्रता पूर्वक निर्धारण के लिए उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग का गठन किया गया। इसके बाद राज्य के विद्युत संगठन में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश विद्युत सुधार अधिनियम 1999 लागू किया गया।
इस कानून के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद की समस्त संपत्तियों, हितों, अधिकारों और दायित्वों, कार्यवाहियों तथा कार्मिकों को तीन निगमों में स्थानांतरित कर दिया गया जो इस प्रकार हैं-
- उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत निगम लिमिटेड- तापीय विद्युत उत्पादन हेतु
- उत्तर प्रदेश जल विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड- जल विद्युत उत्पादन हेतु
- उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड- पारेषण (Transmission), वितरण एवं विद्युत प्रदाय कार्यों हेतु।
विद्युत उत्पादन
वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा उत्पादित विद्युत के मुख्य रूप से दो स्रोत हैं- ताप विद्युत और जल विद्युत। तथा एकमात्र परमाणु विद्युत उत्पादन यूनिट भी है । ताप विद्युत उत्पादन का कार्य उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के अधीन है जबकि जलविद्युत के उत्पादन संबंधी कार्य उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम लिमिटेड के अधीन हैं ।
ताप विद्युत उत्पादन
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि ताप विद्युत उत्पादन संबंधी सभी कार्य राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के अंतर्गत आते हैं। राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड जनवरी 2000 अस्तित्व में आया है। यह निगम राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन ताप विद्युत ग्रहों के निर्माण, रखरखाव, सुधार आदि के लिए उत्तरदायी है। इस निगम के अंतर्गत हरदुआगंज, परीक्षा, पनकी, अनबरा, ओबरा आदि स्थानों पर कुल 25 इकाइयां कार्यरत हैं; जो निम्न प्रकार हैं-
हरदुआगंज ताप विद्युत परियोजना
राज्य की सबसे पुरानी इस विद्युत गृह की स्थापना 1942 में अलीगढ़ के निकट की गई थी। इनमें 220 मेगावाट क्षमता की यूनिटें स्थापित की गई हैं । यूनिट का पुनरुद्धार वर्ष 1967 में रूस की मदद से किया गया था।
- वर्तमान में इस परियोजना की कुल उत्पादन क्षमता 610 मेगावाट है। यहां पर कुछ परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है जिससे आने वाले समय में उत्पादन क्षमता बढ़ेगी।
पारीक्षा ताप विद्युत परियोजना
परीक्षा ताप विद्युत परियोजना, झांसी जिले में झांसी से 25 किमी पहले काल्पी-झांसी रोड पर स्थित है। वर्तमान में इस परियोजना की कुल उत्पादन क्षमता 1140 मेगावाट है।
ओबरा ताप विद्युत परियोजना
यह ताप विद्युत गृह सोनभद्र जिले में स्थित है। इस ताप विद्युत गृह का निर्माण 1967 से 1971 तक पूर्व सोवियत संघ की सहायता से हुआ है। वर्तमान में किस परियोजना की उत्पादन क्षमता 1094 मेगावाट है।
पनकी विस्तार ताप परियोजना
कानपुर जिले की पनकी में राज्य विद्युत उत्पादन निगम की 210 मेगावाट की 50 वर्ष पुरानी ताप परियोजना को जनवरी 2018 में पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। अब पनकी विस्तार योजना के तहत 660 मेगावाट क्षमता की नई इकाई स्थापित की जा रही है।
जल विद्युत उत्पादन
वर्ष 2000 के प्रावधानों के अनुसार प्रदेश के सभी ( वृहद एवं लघु) जल विद्युत ग्रहों के परिचालन, रखरखाव, तथा नई परियोजनाओं के सर्वेक्षण, अनुसंधान एवं निर्माण संबंधी सभी कार्य जल विद्युत उत्पादन निगम के अंतर्गत आते हैं। वर्तमान में निगम के अंतर्गत प्रदेश में कुल 7 जलविद्युत परियोजनाएं हैं; जो निम्न प्रकार है-
रिहंद बांध जल विद्युत परियोजना
इस परियोजना में प्रदेश के सोनभद्र जिले के पिपरी नामक स्थान पर रिहंद नदी पर एक बांध व गोविंद बल्लभ पंत सागर नामक कृतिम झील बनाई गई है। जिसमें 50-50 मेगावाट विद्युत क्षमता वाली 6 इकाइयां लगाई गई हैं । इस प्रकार इस परियोजना की कुल उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट है।
ओबरा जल विद्युत परियोजना
ओबरा बांध भी सोनभद्र जिले में ओबरा नामक स्थान पर रिहंद नदी पर बनाया गया है जिसमें 33-33 मेगावाट क्षमता की 3 इकाइयां लगाई गई हैं । इस परियोजना की कुल उत्पादन क्षमता 99 मेगावाट है।
माताटीला जल विद्युत परियोजना
माताटीला बांध ललितपुर जिले में उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश की सहायता से बेतवा नदी पर बनाया गया है। इस विद्युत गृह की कुल उत्पादन क्षमता 30.6 मेगावाट है। यहां से उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के निकटवर्ती जिलों में विद्युत की आपूर्ति की जाती है।
ऊपरी गंगा नहर पर स्थित गंगा विद्युत गृह -(UGC Power House)
हरिद्वार के पास से निकलने वाली इस नहर पर पथरी व मोहम्मदपुर (सहारनपुर), निरगाजिनी व सलावा (मुजफ्फरनगर), भोला (मेरठ), पलरा (बुलंदशहर) तथा सुमेरा (अलीगढ़) आदि छोटे-छोटे करी जल विद्युत केंद्र हैं जिन्हें संयुक्त रूप से गंगा विद्युत क्रम कहा जाता है। इन सभी इकाइयों की कुल उत्पादन क्षमता 13.70 मेगावाट है।
पूर्वी यमुना नहर जल विद्युत परियोजना (EYC- East Yamuna Canal)
इस परियोजना के अंतर्गत पूर्वी यमुना नहर पर बेल्का, बाबेल नमक स्थानों पर छोटे-छोटे विद्युत गृह स्थापित किए गए हैं। जिनमें प्रत्येक की क्षमता 3-3 मेगावाट है। अतः इन दोनों परियोजनाओं की कुल क्षमता 6 मेगावाट है।
शीतला जल विद्युत परियोजना
शीतला जल विद्युत परियोजना का निर्माण मोठ (झांसी) किया गया है। इस परियोजना की कुल उत्पादन क्षमता 3 मेगा वाट है।
खारा जल विद्युत परियोजना
खारा जल विद्युत परियोजना का निर्माण यमुना नहर पर सहारनपुर जिले में किया गया है। इसकी कुल उत्पादन क्षमता 72 मेगावाट है।
परीक्षा जलविद्युत केंद्र केंद्र
इस परियोजना का निर्माण बेतवा नदी पर झांसी जिले में किया गया है। इसकी कुल उत्पादन क्षमता 220 मेगावाट है।
राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम – (National Thermal Power Corporation)
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC) 7 उत्पादनरत एवं 3 निर्माणाधीन इकाइयां हैं। उत्पादनरत इकाइयों में 3 (औरैया, आंवला और दादरी) संयंत्र गैस आधारित और शेष कोयला आधारित हैं ।
- दादरी ताप विद्युत परियोजना – गौतमबुद्ध नगर
- आंवला ताप विद्युत परियोजना – बरेली
- ऊंचाहार ताप विद्युत परियोजना – रायबरेली
- टांडा ताप विद्युत केंद्र – अंबेडकर नगर
- शक्तिनगर सुपर ताप विद्युत परियोजना – सोनभद्र
- औरैया ताप विद्युत केंद्र – औरैया
- ताप विद्युत केंद्र – सोनभद्र
- मेजा संयुक्त ताप विद्युत गृह – प्रयागराज (निर्माणाधीन)
- बिल्हौर थर्मल पावर प्लांट – बिल्हौर, कानपुर (निर्माणाधीन)
- टांडा विस्तार ताप विद्युत गृह – टांडा, अंबेडकर नगर (निर्माणाधीन)
परमाणु विद्युत गृह – (Atomic Power Station)
उत्तर प्रदेश का एकमात्र परमाणु संयंत्र बुलंदशहर जिले के नरोरा नामक स्थान पर गंगा के निकट स्वदेशी डिजाइन, उन्नत दबावयुक्त तथा भारी जल आधारित 220-220 मेगावाट क्षमता वाली दो परमाणु रिएक्टर कार्यरत हैं । इनका निर्माण कार्य क्रमशः 1 दिसंबर 1976 तथा 1 नवंबर 1977 को शुरू हुआ था। इन दोनों परमाणु संयंत्रों से विद्युत का व्यवसायिक उत्पादन प्रथम इकाई से 1 जनवरी 1991 से तथा दूसरी इकाई से 30 जून 1992 को शुरू हुआ था।
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