खेतों से फसलों की अच्छी उपज लेने के लिए और उन्नत खेती के लिए समय पर सिंचाई आवश्यक होती है। अतः मानसूनी वर्षा के अनिश्चित, अनियमित तथा असामयिक होने के कारण हमें सिंचाई के कृत्रिम साधनों की आवश्यकता पड़ती है।
सर्वप्रथम वर्ष 1823 में अंग्रेजों द्वारा प्रथम सिंचाई कार्यालय सहारनपुर जिले में खोला गया था। वर्ष 1830 में पूर्वी यमुना नहर, 1854 में ऊपरी गंगा नहर, 1874 में आगरा नहर तथा 1878 में निचली गंगा नहर का निर्माण हुआ था। 1885 में जालौन और हमीरपुर जिलों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बेतवा नहर का निर्माण किया गया था। 20वीं सदी के प्रारंभ तथा स्वतंत्रता के बाद में प्रदेश में सिंचाई सुविधाओं का तेजी से विकास हुआ।
उत्तर प्रदेश में सिंचाई के साधनों की सूची निम्न प्रकार है-
- तालाबों, पोखरों, झीलों और नदियों से सिंचाई- उत्तर प्रदेश में यह सिंचाई की सबसे प्राचीन स्रोत हैं जिनमें बेदी, ढेकली आदि तकनीकों का प्रयोग कर सिंचाई की जाती थी।
- कुओं द्वारा सिंचाई- ऊंचे जलस्तर वाले क्षेत्रों में कुओं से सिंचाई की जाती थी कुएँ से जल बाहर निकालने के लिए रहट, मायादास लिफ्ट, चैन पंप, वाशर रहट, पेंच, हैंड पंप आदि साधनों का प्रयोग किया जाता है।
- नलकूप द्वारा सिंचाई- उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक सिंचाई नलकूपों द्वारा की जाती है। प्रदेश में इस का सर्वप्रथम प्रयोग वर्ष 1930 में मेरठ में शुरू हुआ था।
भू-गर्भीय जल द्वारा नलकूपों से सिंचाई को लघु सिंचाई के अंतर्गत रखा जाता है। - नहरों से सिंचाई- प्रदेश में ऐसी नदियों की अधिकता है जिनमें हमेशा पानी बहता रहता है इस कारण नहरों का विकास करना आसान है। लेकिन यह प्रणाली अधिक खर्चीली होने के कारण अभी तक नहरों का उतना विस्तार नहीं हो पाया।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नहरों का अधिक विस्तार हुआ है।
उत्तर प्रदेश की प्रमुख नहरें इस प्रकार हैं-
पूर्वी यमुना नहर
यह प्रदेश की सबसे पुरानी नहर है। पूर्वी यमुना नहर का निर्माण 1631 में शाहजहां द्वारा कराया गया था बाद में अंग्रेजों द्वारा इसका विस्तार किया गया। यह नहर यमुना के बाएं किनारे से तजेवाला (सहारनपुर) नामक स्थान से निकाली गई है। सर्वप्रथम इस नहर का उपयोग वर्ष 1830 में किया गया था।
इस नहर से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, शामली, हापुड़ एवं गाजियाबाद जिलों में सिंचाई की जाती है।
ऊपरी गंगा नहर
ऊपरी गंगा नहर का निर्माण वर्ष 1840 से 1854 के बीच हुआ था । यह नहर गंगा के दाहिने किनारे से हरिद्वार से निकली है। ऊपरी गंगा नहर की कुल लंबाई 6496 किमी. है।
इस नहर से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, एटा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, कानपुर, फर्रुखाबाद तथा फतेहपुर जिलों में सिंचाई की जाती है।
आगरा नहर
आगरा नहर का निर्माण वर्ष 1878 में हुआ था। इसका उद्गम स्थान ओखला है। आगरा नहर की कुल लंबाई 1874 किमी. है। इस नहर से उत्तर प्रदेश के मथुरा एवं आगरा जिलों में सिंचाई की जाती है तथा इस नहर से हरियाणा एवं राजस्थान के जिलों में भी सिंचाई की जाती है।
निचली गंगा नहर
निचली गंगा नहर का निर्माण वर्ष 1878 में पूरा हुआ था। यह नहर गंगा नदी से नरौरा (बुलंदशहर) नामक स्थान से निकली है। इस नहर की कुल लंबाई 8278 किमी. है।
निचली गंगा नहर से उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर, अलीगढ़ , एटा, फिरोजाबाद , मैनपुरी, फर्रुखाबाद, कानपुर, फतेहपुर एवं प्रयागराज जिलों में सिंचाई की जाती है।
शारदा नहर
शारदा नहर का निर्माण वर्ष 1918 से शुरू होकर 1928 में पूरा हुआ था। इस नदी का उद्गम स्थल बनवासा (नैनीताल) के पास है। शारदा नहर उत्तर प्रदेश की सबसे लंबी नहर है। इस नहर की मुख्य शाखा एवं सहायक शाखाओं को मिलाकर कुल लंबाई 9961.3 किमी. है।
शारदा नहर से उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, बरेली, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, हरदोई, सीतापुर, बाराबंकी, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ एवं प्रयागराज जिलों में सिंचाई की जाती है।
बेतवा नहर
बेतवा नहर का उद्गम स्थल बेतवा नदी से झांसी जिले के परीक्षा नमक नगर के पास से हुआ है। इस नहर का निर्माण 1986 में हुआ था। बेतवा नहर से उत्तर प्रदेश के झांसी, हमीरपुर एवं जालौन जिलों में सिंचाई होती है। तथा इससे मध्य प्रदेश के ग्वालियर, दतिया एवं टीकमगढ़ जिले में भी सिंचाई होती है।
केन नहर
केन नहर का उद्गम स्थल मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के पास केन नदी के दायें किनारे से हुआ है। पहली बार इस नहर में वर्ष 1907 में पानी छोड़ा गया था। इस नहर से उत्तर प्रदेश के बांदा तथा मध्यप्रदेश के पन्ना एवं छतरपुर जिलों में सिंचाई की जाती है।
रामगंगा नहर
रामगंगा नहर से उत्तर प्रदेश के बिजनौर अमरोहा मुरादाबाद रामपुर आदि जिलों में सिंचाई की जाती है।
रानी लक्ष्मीबाई बांध की नहरें
ललितपुर जिले में बेतवा नदी पर माताटीला स्थान पर निर्मित माताटीला बांध से गुरसराय और मंदिर नामक दो ने निकाली गई हैं । जिससे ललितपुर, झांसी, हमीरपुर और जालौन जिलों में सिंचाई होती है।
रिहंद घाटी परियोजना
यह परियोजना सोनभद्र जिले में रिहंद नदी की तंग घाटी में पिपरी नामक स्थान पर बनाई गई है। इस परियोजना से मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज और वाराणसी जिलों में सिंचाई की जाती है ।
चंद्रप्रभा बांध नहर
इस योजना में वाराणसी के चकिया स्थान से दक्षिण में चंद्रप्रभा नदी पर एक बांध बनाया गया है। जिससे निकाली गई लहरों से चकिया और चंदौली तहसीलों में सिंचाई की जाती है।
राजघाट बांध एवं नहर परियोजना
ललितपुर जिले में बेतवा नदी पर राजघाट बांध का निर्माण उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार के बराबर सहयोग से किया गया है। इससे उत्तर प्रदेश के ललितपुर झांसी जालौन एवं हमीरपुर जिला में सिंचाई की जाती है।
अन्य नहरें
- नगवाँ बांध नहर कर्मनाशा नदी पर नगवाँ नामक स्थान पर बने बांध से निकाली गई है। जिससे मिर्जापुर व सोनभद्र जिलों में सिंचाई की जाती है।
- सपरार नहर द्वारा उत्तर प्रदेश के झांसी वह हमीरपुर जिलों में सिंचाई की जाती है।
- अर्जुन बांध की नहरों द्वारा उत्तर प्रदेश के महोबा एवं हमीरपुर जिलों में सिंचाई की जाती है।
- बेलन नहर द्वारा उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में सिंचाई की जाती है।
पम्प नहरें
उत्तर प्रदेश में बांध नहरों के अलावा पंप नहरों के विकास पर भी जोर दिया जा रहा है। प्रदेश की अधिकांश पम्प नहरें पूर्ण हो चुकी हैं जिनमें से कुछ निम्न प्रकार हैं-
- ज्ञानपुर पंप नहर परियोजना- प्रयागराज
- यमुना पंप नहर
- घागरा पंप नहर
- दोहरीघाट पंप नहर
- देवकली पंप नहर
- सोन पंप नहर,- सोनभद्र
- जमनिया पंप नहर – गाजीपुर
- टांडा पंप नहर – अंबेडकर नगर
- जरौली पंप नहर- फतेहपुर
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