उत्तर प्रदेश की जलवायु उष्ण कटिबंधीय मानसून प्रकार की है। तराई क्षेत्रों में यह नमी लिए रहती है और दक्षिण पठारी क्षेत्र में ग्रीष्म ऋतु में नमी बिल्कुल नहीं रहती है। उत्तर प्रदेश को मुख्यतः दो जलवायु प्रदेशों में विभाजित किया गया है-
- आद्र एवं उष्ण प्रदेश
- साधारण आद्र एवं उष्ण प्रदेश
आद्र एवं उष्ण प्रदेश
आद्र एवं उष्ण प्रदेश को तराई क्षेत्र (औसत वार्षिक वर्षा 120-180 cm.) एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश (औसत वार्षिक वर्षा 100-120 cm.) में विभाजित किया गया है।
साधारण आद्र एवं उष्ण प्रदेश
साधारण आद्र एवं उष्ण प्रदेश को मैदानी क्षेत्र (औसत वार्षिक वर्षा 80-100 cm.), पश्चिमी मैदानी क्षेत्र और बुंदेलखंड का पहाड़ी-पठारी क्षेत्र में विभाजित किया जाता है। पश्चिमी मैदानी क्षेत्र और बुंदेलखंड के पहाड़ी-पठारी क्षेत्र में वार्षिक वर्षा कम होती है इसका कारण है कि प्रदेश में पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण जाने पर वायु में आद्रता की मात्रा घटती जाती है।
उत्तर प्रदेश में मुख्यतः तीन ऋतु होती हैं –
- शीत ऋतु
- ग्रीष्म ऋतु और
- वर्षा ऋतु
शीत ऋतु
उत्तर प्रदेश में शीत ऋतु अक्टूबर से फरवरी तक रहती है । शीत ऋतु में सबसे ठंडा महीना जनवरी का पड़ता है। शीत ऋतु में उत्तर प्रदेश का तापमान उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ता जाता है। उत्तर प्रदेश के दक्षिण पठारी भाग का शीत ऋतु में औसत न्यूनतम तापमान 13.3 डिग्री सेल्सियस रहता है तथा पश्चिमी मैदानी एवं पर्वतीय क्षेत्रों में औसत न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस रहता है।
उत्तर प्रदेश में शीत ऋतु में वर्षा उत्तर पश्चिम से आने वाले चक्रवातों के कारण होती है। शीतकालीन चक्रवातों की उत्पत्ति भूमध्य सागरीय क्षेत्र में होती है।
शीतकालीन चक्रवातों के कारण उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिम क्षेत्रों में 7-10 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है।
ग्रीष्म ऋतु
उत्तर प्रदेश में ग्रीष्म ऋतु मध्य मार्ग से मध्य जून तक रहती है। उत्तर प्रदेश में मई एवं जून माह में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है। ग्रीष्म ऋतु में औसत अधिकतम तापमान 36-39 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान 21-23 डिग्री सेल्सियस होता है। ग्रीष्म ऋतु में कुछ स्थानों पर तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में सर्वाधिक औसत तापमान पाया जाता है इसका कारण इसकी कर्क रेखा से अधिक निकट अवस्थिति का होना है।
उत्तर प्रदेश के झांसी एवं आगरा जिलों में सबसे अधिक तथा बरेली जिले में सबसे कम गर्मी पड़ती है। उत्तर प्रदेश में ग्रीष्म ऋतु में पश्चिमी हवाएं तेज गति से चलती है। इन शुष्क एवं गर्म हवाओं को लू कहा जाता है।
वर्षा ऋतु
उत्तर प्रदेश में वर्षा ऋतु जून के मध्य या जून के अंतिम सप्ताह से प्रारंभ होकर अक्टूबर तक रहती है। बंगाल की खाड़ी से उड़ने वाला मानसून बिहार के मैदानी भाग से होता हुआ उत्तर प्रदेश में प्रवेश करता है, इसे पूर्वा कहते हैं।
उत्तर प्रदेश की अधिकांश मानसूनी वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून के बंगाल की खाड़ी के मानसून शाखा से होती है यह उत्तर प्रदेश की कुल वर्षा का लगभग 75 से 80% भाग होता है। प्रदेश में सर्वाधिक वर्षा जुलाई एवं अगस्त माह में होती है। तथा लगभग 83% वर्षा जून से सितंबर माह के बीच और लगभग 17% वर्षा शीत ऋतु में होती है। उत्तर प्रदेश में दक्षिण पश्चिम मानसून की अरब सागर मानसून शाखा से नाममात्र की वर्षा ही प्राप्त होती है। इस शाखा की अधिकांश वर्षा प्रदेश के दक्षिण पठारी भाग में होती है।
उत्तर प्रदेश के पूर्वी मैदानी क्षेत्र की औसत वार्षिक वर्षा 112 सेमी. है, मध्यवर्ती मैदानी क्षेत्र की औसत वार्षिक वर्षा 94 सेमी है, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी मैदानी क्षेत्र की औसत वार्षिक वर्षा 84 सेमी है तथा उत्तर प्रदेश के दक्षिण पठार एवं पहाड़ी क्षेत्र की औसत वार्षिक वर्षा 91 सेमी है।
उत्तर प्रदेश की मैदानी क्षेत्र में सर्वाधिक वर्षा गोरखपुर (औसत 184.7 सेमी.) में तथा सबसे कम वर्षा मथुरा (औसत 54.4 सेमी.) में होती है।
उत्तर प्रदेश की नदियों में अधिकतम प्रवाह मानसून के दौरान ही रहता है। सामान्यता प्रदेश का पूर्वांचल क्षेत्र सबसे अधिक बाढ़ से प्रभावित होता है। उत्तर प्रदेश में वर्ष 1978 में सबसे भीषण बाढ़ आई थी जिससे लाखों हेक्टेयर क्षेत्र और लगभग 23% आबादी प्रभावित हुई थी।
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