उत्तर प्रदेश भौगोलिक विविधता से भरपूर राज्य है। यह राज्य हिमालय की तलहटी से लेकर विंध्य पर्वत तक फैला हुआ है। इसकी उत्तरी सीमा नेपाल को स्पर्श करती है। उत्तराखंड के गठन के पहले उत्तर प्रदेश की सीमाएं चीन के तिब्बत क्षेत्र से भी स्पर्श करती थीं।
प्राकृतिक रूप से उत्तर प्रदेश के उत्तर में हिमालय की शिवालिक श्रेणियां, पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम एवं दक्षिण में यमुना नदी तथा विंध श्रेणियां और पूर्व में गंडक नदी है।
उत्तराखंड के गठन से पहले राज्य के तीन भू-भाग थे – पर्वतीय क्षेत्र, मैदानी क्षेत्र और दक्षिण का पठारी क्षेत्र,परंतु उत्तराखंड के गठन के बाद पूरा पर्वतीय क्षेत्र, उत्तर प्रदेश से अलग हो गया है और अब इस पर्वतीय क्षेत्र से लगा हुआ भावर-तराई क्षेत्र ही उत्तर प्रदेश में बचा हुआ है। उत्तर प्रदेश को वर्तमान में मुख्यतः तीन प्राकृतिक प्रदेशों में विभाजित किया गया है –
- भाबर एवं तराई का प्रदेश
- गंगा यमुना का मैदान
- दक्षिण का पठारी प्रदेश
हिमालय से विंध्य तक फैले इस राज्य में विभिन्न प्रकार की भौगोलिक विशेषताएं देखने को मिलती हैं, जो पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करती हैं।हिमालय के उत्तरी क्षेत्रों में शीतल जलवायु और उच्च ऊँचाईयों की उपस्थिति होती है, जबकि विंध्य पर्वतमाला क्षेत्र में गर्म जलवायु और मृदा भूमि के अनुभव होते हैं।उत्तर प्रदेश का दक्षिणी भाग कृषि में प्रमुख रूप से विशिष्ट है, जबकि पश्चिमी क्षेत्र औद्योगिक विकास का केंद्र है।
उत्तर प्रदेश की भौगोलिक स्थिति का महत्व
उत्तर प्रदेश की भौगोलिक स्थिति का महत्व निम्न प्रकार से है:
राजनीतिक महत्व
- उत्तर प्रदेश भारत का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक केंद्र है।
- इसकी भौगोलिक स्थिति राजनीतिक और आर्थिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करती है।
- भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में कार्य करता है।
- राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से निकटता, जो इसे महत्वपूर्ण राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनाती है।
आर्थिक महत्व
- उत्तर प्रदेश भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक है, और इसकी भौगोलिक स्थिति उसकी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डालती है।
- यहाँ की उपजाऊ भूमि, प्राकृतिक संसाधन, और भौगोलिक सुविधाएं विभिन्न उद्योगों को प्रोत्साहित करती हैं।
- भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य, जो इसे एक महत्वपूर्ण उपभोक्ता बाजार बनाता है।
- युवा आबादी की उच्च संख्या, जो राज्य के विकास और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
- विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों का समृद्ध मिश्रण, जो राज्य को सांस्कृतिक रूप से विविध बनाता है।
कृषि और खाद्य सुरक्षा
- उत्तर प्रदेश में कृषि उद्योग महत्वपूर्ण है, और इसकी भौगोलिक स्थिति कृषि उत्पादन को प्रभावित करती है। इसके लिए उत्तर प्रदेश की भौगोलिक स्थिति खासतौर पर महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कृषि के लिए उपयुक्त मौसम और भूमि की उपयोगिता प्रदान करती है।
- भारत का सबसे बड़ा कृषि उत्पादक राज्य, जो देश की खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- उपजाऊ गंगा-यमुना दोआब, जो कृषि के लिए आदर्श भूमि है।
- विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन, जैसे कि गेहूँ, धान, गन्ना, और सब्जियां।
पर्यटन
- उत्तर प्रदेश एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, और इसकी भौगोलिक स्थिति इसके पर्यटन उद्योग को प्रभावित करती है। प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक स्थल, और धार्मिक स्थलों का अधिकांश इसी राज्य में स्थित हैं।
जल संसाधन
- उत्तर प्रदेश में नदियाँ, झीलें, और जल स्रोत हैं, जो लोगों के जीवन के लिए आवश्यक हैं। इसकी भौगोलिक स्थिति इन जल संसाधनों के प्रबंधन और उपयोग।
परिवहन
- अच्छी तरह से विकसित परिवहन नेटवर्क, जिसमें सड़क, रेल, हवाई और जलमार्ग शामिल हैं।
- विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण परिवहन केंद्र।
- व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उद्योग
- भारत का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र, जिसमें विभिन्न प्रकार के उद्योगों का विकास हुआ है।
- बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर प्रदान करता है।
- राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
परिवहन
- अच्छी तरह से विकसित परिवहन नेटवर्क, जिसमें सड़क, रेल, हवाई और जलमार्ग शामिल हैं।
- विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण परिवहन केंद्र।
- व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उद्योग
- भारत का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र, जिसमें विभिन्न प्रकार के उद्योगों का विकास हुआ है।
- बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर प्रदान करता है।
- राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
उत्तर प्रदेश का वर्तमान भौगोलिक स्वरूप:
- उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है, जिसका क्षेत्रफल 241,000 वर्ग किलोमीटर है। जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 7.33% है। यह भारत में पांचवा सबसे बड़ा राज्य है (क्रमशः राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और आंध्र प्रदेश के बाद)।
- यह राज्य हिमालय की तलहटी से लेकर विंध्य पर्वत तक फैला हुआ है।
- उत्तर प्रदेश की सीमाएं नेपाल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड से लगती हैं।
प्रमुख भौगोलिक क्षेत्र:
- हिमालयी क्षेत्र: गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे तीर्थस्थलों के साथ ऊँचे पहाड़, घने जंगल और बर्फीली नदियाँ।
- गंगा का मैदान: उपजाऊ मिट्टी और समतल भूभाग, कृषि का भारी विकास।
- विंध्य पर्वत: प्राचीन किले और मंदिर, घने जंगल और वनस्पतियां।
- अन्य: नदियाँ (गंगा, यमुना, घाघरा, गोमती), झीलें (नैनीताल, भीमताल, खुरजा), वन्यजीव अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान (दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, कतर्नियाघाट वन्यजीव अभ्यारण्य)।
वर्तमान भौगोलिक स्वरूप में बदलाव:
- शहरीकरण: तेजी से बढ़ती शहरी आबादी, जिसके परिणामस्वरूप कृषि भूमि का ह्रास हो रहा है।
- पर्यावरणीय क्षरण: वनों की कटाई, प्रदूषण, और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं।
- जल संकट: बढ़ती आबादी और जलवायु परिवर्तन के कारण जल संसाधनों पर दबाव।
सरकारी पहल:
- शहरी विकास: स्मार्ट शहरों का विकास, सार्वजनिक परिवहन में सुधार, और बुनियादी ढांचे का विकास।
- पर्यावरण संरक्षण: वनीकरण, प्रदूषण नियंत्रण, और जल संरक्षण जैसे कार्यक्रम।
- जल संकट का समाधान: जल संरक्षण कार्यक्रम, नहरों का आधुनिकीकरण, और वर्षा जल संचयन।
- उत्तर प्रदेश सरकार राज्य की भौगोलिक स्थिति का लाभ उठाने के लिए विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम चला रही है।
- राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने और भौगोलिक विविधता को संरक्षित करने के लिए कई पहल की गई हैं।
- विभिन्न गैर-सरकारी संगठन और संस्थान भी भौगोलिक स्वरूप को संरक्षित करने और विभिन्न मुद्दों से निपटने के लिए काम कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की भौगोलिक स्थिति
उत्तर प्रदेश का अक्षांशीय और देशांतरीय विस्तार:
उत्तर प्रदेश का अक्षांशीय और देशांतरीय विस्तार इसे भारतीय मानचित्र पर उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित करता है और यह भारतीय मैदानी क्षेत्र के उत्तरी हिस्से में स्थित है।उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है, जो 23°52′ से 30°24′ उत्तरी अक्षांश और 77°05′ से 84°38′ पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है।
अक्षांशीय विस्तार:
- उत्तर प्रदेश का उत्तरी भाग 23°52′ उत्तरी अक्षांश पर स्थित है, जो नेपाल की सीमा के पास है।
- राज्य का दक्षिणी भाग 30°24′ उत्तरी अक्षांश पर स्थित है, जो मध्य प्रदेश की सीमा के पास है।
- राज्य का अधिकांश भाग 25° से 30° उत्तरी अक्षांश के बीच स्थित है, जो इसे उष्णकटिबंधीय जलवायु प्रदान करता है।
देशांतरीय विस्तार:
- उत्तर प्रदेश का पश्चिमी भाग 77°05′ पूर्वी देशांतर पर स्थित है, जो हरियाणा की सीमा के पास है।
- राज्य का पूर्वी भाग 84°38′ पूर्वी देशांतर पर स्थित है, जो बिहार की सीमा के पास है।
- राज्य का अधिकांश भाग 80° से 85° पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है, जो इसे मानक समय (IST) के अंतर्गत रखता है।
अक्षांशीय और देशांतरीय विस्तार का प्रभाव:
- राज्य की जलवायु और कृषि पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।
- विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीवों का समर्थन करता है।
- राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों को जन्म देता है।
उत्तर प्रदेश की सीमाएं
- उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है।
- इसकी सीमाएं 8 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश से लगती हैं।
- उत्तर में नेपाल और उत्तराखंड, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में छत्तीसगढ़, पूर्व में बिहार और झारखंड स्थित हैं।
- सीमाएं (Boundaries)
- उत्तरी सीमा: नेपाल के साथ
- पश्चिमी सीमा: हरियाणा और दिल्ली के साथ
- दक्षिण-पश्चिमी सीमा: राजस्थान के साथ
- दक्षिणी सीमा: मध्य प्रदेश के साथ
- पूर्वी सीमा: बिहार के साथ
भौगोलिक क्षेत्र (Bhaugolík Kshetra)
उत्तर प्रदेश को वर्तमान में मुख्यतः तीन प्राकृतिक प्रदेशों में विभाजित किया गया है –
- भाबर एवं तराई का प्रदेश (हिमालय)
- गंगा यमुना का मैदान
- दक्षिण का पठारी प्रदेश
भाबर एवं तराई का प्रदेश (हिमालय)
- स्थिति: राज्य के उत्तरी भाग में, नेपाल की सीमा के पास स्थित।
- पश्चिम में सहारनपुर से लेकर पूर्व में देवरिया एवं कुशीनगर तक भूमि की एक पतली सी पट्टी भाबर एवं तराई कहलाती है।
- क्षेत्रफल: लगभग 24,000 वर्ग किलोमीटर।
- राज्य के लिए महत्वपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र।
- उत्तर प्रदेश में भाबर एवं तराई का प्रदेश, राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 10% हिस्सा है।
- इस क्षेत्र में कई राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य हैं, जो वन्यजीवों और जैव विविधता को संरक्षित करते हैं।
- सरकार इस क्षेत्र के विकास और संरक्षण के लिए कई योजनाएं चला रही है।
- प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता, और समृद्ध संस्कृति का खजाना।
- पर्यटन, आर्थिक विकास, और पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र।
- प्रमुख जिले: सहारनपुर, देहरादून, हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर, नैनीताल, चंपावत, आदि।
भाबर क्षेत्र:
- पथरीली और रेतीली मिट्टी, घने जंगल, नदियाँ और झीलें।
- भावर क्षेत्र में नदियां लुप्त हो जाती हैं जो तराई क्षेत्र में फिर से प्रकट होती है।
- भावर क्षेत्र में जलोढ़ पंख और जलोढ़ शंकु जैसी नदी से निर्मित स्थल-आकृतियां बनती हैं।
- भाबर क्षेत्र वह पर्वतीय भू-भाग है जो कंकड़-पत्थरों से निर्मित है।
- भाबर क्षेत्र का विस्तार उत्तर प्रदेश के बिजनौर, सहारनपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, एवं लखीमपुर खीरी जिलों में है।
- पश्चिम में भाबर क्षेत्र 34 किलोमीटर चौड़ा है परंतु पूर्व की ओर बढ़ने पर यह संकरा होता जाता है।
- जलवायु: शीतोष्ण, वर्षा ऋतु में भारी वर्षा।
- वनस्पतियाँ: साल, शीशम, सागौन, बाँस, आदि।
- जीव-जंतु: हाथी, बाघ, तेंदुआ, हिरण, आदि।
- आर्थिक गतिविधियाँ: कृषि, पशुपालन, वन उद्योग, पर्यटन।
तराई क्षेत्र:
- भाबर के दक्षिण में दलदली एवं गाद मिट्टी वाला क्षेत्र, जो महीन अवसादों से निर्मित है, तराई क्षेत्र कहलाता है।
- घने जंगलों और लंबे हाथी घासों से ढका हुआ तराई क्षेत्र कभी 80 से 90 किमी तक चौड़ा था और इसके अंतर्गत सहारनपुर, बिजनौर, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, गोंडा, बस्ती, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर, महाराजगंज, देवरिया और कुशीनगर जिलों के भाग आते थे। कुछ वर्षों से भूमि सुधार कार्यक्रमों के कारण इसकी चौड़ाई काफी कम हो गई है जिससे इसका काफी भाग उपजाऊ भूमि के रूप में किसानों को प्राप्त हो गया है। अब यहां गेहूं, गन्ना और धान की फसलें बहुत अच्छी पैदावार दे रही हैं।
- उत्तर प्रदेश के ऊंचाई वाले भागों में मिलने वाली प्राचीनतम जलोढ़ मिट्टी को राढ़ (Radh ) नाम से जाना जाता है।
- भूगोल: समतल मैदान, उपजाऊ मिट्टी, नदियाँ और झीलें।
- जलवायु: उष्णकटिबंधीय, गर्म और आर्द्र।
- वनस्पतियाँ: साल, शीशम, सागौन, बाँस, आदि।
- जीव-जंतु: हाथी, बाघ, तेंदुआ, हिरण, आदि।
- आर्थिक गतिविधियाँ: कृषि, पशुपालन, मछली पालन, पर्यटन।
गंगा यमुना का मैदान
- उत्तर प्रदेश का गंगा-यमुना का मैदान: भारत का अन्न भंडार
- गंगा-यमुना का मैदान, राज्य के मध्य भाग में स्थित एक महत्वपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र है। यह क्षेत्र अपनी उपजाऊ मिट्टी, कृषि उत्पादन, और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।
- यह मैदान समतल और उपजाऊ है। यहाँ की मिट्टी दोमट और जलोढ़ है, जो कृषि के लिए अनुकूल है। यहाँ कई नदियाँ बहती हैं, जिनमें गंगा, यमुना, रामगंगा, घाघरा, आदि प्रमुख हैं।
क्षेत्रफल और स्थिति:
यह मैदान लगभग 100,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह मैदान उत्तर में हिमालय की तलहटी से लेकर दक्षिण में विंध्य पर्वत तक फैला हुआ है। पश्चिम में यमुना नदी और पूर्व में गंगा नदी इसकी सीमा बनाती हैं।
जलवायु:
यहाँ की जलवायु उष्णकटिबंधीय है। यहाँ गर्मी और सर्दी दोनों ही मौसम होते हैं। वर्षा ऋतु में यहाँ भारी वर्षा होती है।
वनस्पतियाँ और जीव-जंतु:
यहाँ घने जंगल नहीं हैं, लेकिन यहाँ कई प्रकार के पेड़-पौधे पाए जाते हैं। यहाँ कई प्रकार के जीव-जंतु भी पाए जाते हैं, जिनमें हिरण, जंगली सुअर, लोमड़ी, आदि प्रमुख हैं।
आर्थिक गतिविधियाँ:
यह क्षेत्र कृषि के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ गेहूँ, धान, गन्ना, बाजरा, आदि प्रमुख फसलें उगाई जाती हैं। यहाँ पशुपालन और मछली पालन भी महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियाँ हैं।
महत्व:
- कृषि: यह क्षेत्र भारत का अन्न भंडार कहलाता है। यहाँ देश की कुल कृषि उत्पादन का लगभग 20% उत्पादन होता है।
- आर्थिक: यह क्षेत्र भारत के सबसे समृद्ध क्षेत्रों में से एक है।
- ऐतिहासिक: यहाँ कई प्राचीन शहर और स्मारक हैं, जिनमें ताजमहल, आगरा का किला, काशी विश्वनाथ मंदिर, आदि प्रमुख हैं।
- पर्यटन: यह क्षेत्र पर्यटन के लिए भी प्रसिद्ध है।
चुनौतियाँ:
- बाढ़: यहाँ हर साल बाढ़ आती है, जिससे जान-माल का नुकसान होता है।
- सूखा: यहाँ कभी-कभी सूखा भी पड़ता है, जिससे कृषि उत्पादन प्रभावित होता है।
- जनसंख्या का दबाव: यहाँ की जनसंख्या बहुत अधिक है, जिससे यहाँ कई सामाजिक-आर्थिक समस्याएं हैं।
सरकारी पहल:
- बाढ़ नियंत्रण: सरकार बाढ़ नियंत्रण के लिए कई उपाय कर रही है।
- सूखा राहत: सरकार सूखा राहत के लिए भी कई उपाय कर रही है।
- जनसंख्या नियंत्रण: सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए भी कई उपाय कर रही है।
उत्तर प्रदेश के गंगा-यमुना मैदान के उप-भाग:
1. गंगा-यमुना का ऊपरी मैदान:
- स्थिति: हिमालय की तलहटी से शुरू होकर इलाहाबाद तक फैला हुआ है।
- भौगोलिक स्वरूप: पहाड़ी ढलान और जलोढ़ मिट्टी।
- जलवायु: उष्णकटिबंधीय, ग्रीष्मकाल में गर्म और शीतकाल में ठंडा।
- वनस्पति: घने जंगल, साल, शीशम, सागौन, आदि।
- जीव-जंतु: बाघ, हाथी, हिरण, आदि।
- आर्थिक गतिविधियाँ: कृषि, पशुपालन, वन उद्योग, पर्यटन।
- महत्व: गंगा और यमुना नदियों का उद्गम स्थल, प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक महत्व।
2. गंगा का मध्य मैदानी प्रदेश:
- स्थिति: इलाहाबाद से लेकर पटना तक फैला हुआ है।
- भौगोलिक स्वरूप: समतल मैदान, उपजाऊ मिट्टी।
- जलवायु: उष्णकटिबंधीय, ग्रीष्मकाल में गर्म और शीतकाल में ठंडा।
- वनस्पति: घने जंगलों की अनुपस्थिति, आम, पीपल, बरगद, शीशम, आदि।
- जीव-जंतु: हिरण, जंगली सूअर, लोमड़ी, आदि।
- आर्थिक गतिविधियाँ: कृषि (गेहूं, धान, गन्ना), पशुपालन, मछली पालन, उद्योग (चीनी मिल, कपड़ा उद्योग, चमड़ा उद्योग)।
- महत्व: भारत का अन्न भंडार, कृषि उत्पादन का केंद्र, ऐतिहासिक महत्व।
- उदाहरण: कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, आगरा।
3. गंगा का पूर्वी मैदान:
- स्थिति: पटना से लेकर बांग्लादेश तक फैला हुआ है।
- भौगोलिक स्वरूप: समतल मैदान, जलोढ़ मिट्टी, दलदली भूमि।
- जलवायु: उष्णकटिबंधीय, ग्रीष्मकाल में गर्म और आर्द्र, शीतकाल में ठंडा।
- वनस्पति: घने जंगलों की अनुपस्थिति, आम, पीपल, बरगद, शीशम, आदि।
- जीव-जंतु: हिरण, जंगली सूअर, लोमड़ी, आदि।
- आर्थिक गतिविधियाँ: कृषि (धान, गन्ना), पशुपालन, मछली पालन, उद्योग (चाय उद्योग, जूट उद्योग)।
- महत्व: बांग्लादेश के साथ व्यापार, प्राकृतिक सुंदरता, पर्यटन।
- उदाहरण: पटना, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा।
यह जानकारी आपको उत्तर प्रदेश के गंगा-यमुना मैदान के विभिन्न उप-भागों को समझने में मददगार होगी।
अतिरिक्त जानकारी:
- गंगा-यमुना का मैदान भारत के सबसे महत्वपूर्ण भौगोलिक क्षेत्रों में से एक है।
- यह क्षेत्र अपनी कृषि क्षमता, ऐतिहासिक महत्व, और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए जाना जाता है।
- इस क्षेत्र में अनेक प्राचीन शहर, स्मारक, और धार्मिक स्थल हैं।
- यह क्षेत्र बाढ़ और सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं से भी प्रभावित होता है।
यह क्षेत्र भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- दक्षिण का पठारी प्रदेश (विंध्य पर्वत)
- दक्षिण पठारी प्रदेश के अंतर्गत बुंदेलखंड एवं बघेलखंड के भू-भाग आते हैं।
- उत्तर प्रदेश में दक्षिण पठारी प्रदेश का कुल क्षेत्रफल 45200 वर्ग किमी. है।
- यह क्षेत्र दक्कन के पठार का ही हिस्सा है तथा इस भूभाग की उत्तरी सीमा यमुना तथा गंगा नदी द्वारा निर्धारित है और दक्षिणी सीमा विंध्य पर्वत द्वारा निर्धारित होती है।
- पूर्व दिशा में केन नदी तथा पश्चिम दिशा में बेतवा तथा पाहुज नदियां इसकी सीमा निर्धारित करती हैं।
- उत्तर प्रदेश के दक्षिण पठारी प्रदेश के अंतर्गत झांसी, जालौन, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट, ललितपुर और बांदा जिले, प्रयागराज जिले की मेजा और करछना तहसीलें, गंगा के दक्षिण में पड़ने वाला मिर्जापुर जिले का हिस्सा तथा चंदौली जिले की चकिया तहसील आती है।
- इस पठारी क्षेत्र की सामान्य ऊंचाई 300 मीटर के आसपास है तथा कुछ स्थानों पर यह ऊंचाई 450 मीटर से भी अधिक है। मिर्जापुर, सोनभद्र जिले के कुछ स्थानों पर कैमूर और सोनाकर की पहाड़ियां लगभग 600 मीटर तक ऊंची हैं।
- दक्षिण पठारी प्रदेश की औसत ऊंचाई 300 मीटर है।
- दक्षिण पठारी प्रदेश का ढाल दक्षिण से उत्तर की ओर है।
- दक्षिण पठारी प्रदेश की प्रमुख नदियां चंबल, बेतवा, कैन, सोन नदी एवं टोंस हैं।
- कम वर्षा के कारण इस पठारी क्षेत्र में वृक्ष-वनस्पतियां छोटी होती हैं।
- यहां की मुख्य फसलें ज्वार, तिलहन, चना और गेहूं आदि हैं।
बुंदेलखंड क्षेत्र:
- स्थिति: उत्तर प्रदेश के दक्षिणी भाग में, यमुना नदी के दक्षिण में स्थित।
- भूगोल: पहाड़ी और पठारी भूभाग, घने जंगल, नदियाँ और झीलें।
- जलवायु: उष्णकटिबंधीय, गर्म और आर्द्र ग्रीष्मकाल, ठंडी और शुष्क सर्दियाँ।
- वनस्पतियाँ: साल, सागौन, शीशम, बांस, आदि।
- जीव-जंतु: बाघ, हाथी, भालू, हिरण, आदि।
- आर्थिक गतिविधियाँ: कृषि, पशुपालन, खनन, उद्योग, पर्यटन।
- महत्व: ऐतिहासिक महत्व, प्राकृतिक सुंदरता, खनिज संपदा।
- उदाहरण: झांसी, चित्रकूट, ओरछा, खजुराहो, आदि।
बघेलखंड क्षेत्र:
- स्थिति: उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी भाग में, सोन नदी के दक्षिण में स्थित।
- सोन नदी के पार, बुंदेलखंड का जुड़वां भाई।
- बुंदेलखंड की तरह ही, पहाड़ी, जंगली, और खूबसूरत।
- भूगोल: पहाड़ी और पठारी भूभाग, घने जंगल, नदियाँ और झीलें।
- जलवायु: उष्णकटिबंधीय, गर्म और आर्द्र ग्रीष्मकाल, ठंडी और शुष्क सर्दियाँ।
- वनस्पतियाँ: साल, सागौन, शीशम, बांस, आदि।
- जीव-जंतु: बाघ, हाथी, भालू, हिरण, आदि।
- आर्थिक गतिविधियाँ: कृषि, पशुपालन, खनन, उद्योग, पर्यटन।
- महत्व: ऐतिहासिक महत्व, प्राकृतिक सुंदरता, खनिज संपदा।
- उदाहरण: मिर्जापुर, सोनभद्र, विंध्यनगर, आदि।
दोनों क्षेत्रों में समानताएं:
- भूगोल: पहाड़ी और पठारी भूभाग, घने जंगल, नदियाँ और झीलें।
- जलवायु: उष्णकटिबंधीय, गर्म और आर्द्र ग्रीष्मकाल, ठंडी और शुष्क सर्दियाँ।
- वनस्पतियाँ: साल, सागौन, शीशम, बांस, आदि।
- जीव-जंतु: बाघ, हाथी, भालू, हिरण, आदि।
- आर्थिक गतिविधियाँ: कृषि, पशुपालन, खनन, उद्योग, पर्यटन।
- महत्व: ऐतिहासिक महत्व, प्राकृतिक सुंदरता, खनिज संपदा।
दोनों क्षेत्रों में अंतर:
- स्थिति: बुंदेलखंड यमुना नदी के दक्षिण में, बघेलखंड सोन नदी के दक्षिण में।
- भाषा: बुंदेलखंड में बुंदेली भाषा, बघेलखंड में बघेली भाषा।
- संस्कृति: बुंदेलखंड में वीरता और शौर्य की संस्कृति, बघेलखंड में कला और संस्कृति की संस्कृति।
यह जानकारी आपको उत्तर प्रदेश दक्षिण के पठारी प्रदेश के दो मुख्य क्षेत्रों को समझने में मददगार होगी।
अतिरिक्त जानकारी:
- दोनों क्षेत्रों में कई प्राचीन किले, मंदिर और अन्य ऐतिहासिक स्थल हैं।
- दोनों क्षेत्रों में कई राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य हैं, जो वन्यजीवों और जैव विविधता को संरक्षित करते हैं।
- सरकार इन क्षेत्रों के विकास और संरक्षण के लिए कई योजनाएं चला रही है।
यह क्षेत्र भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उत्तर प्रदेश का दक्षिण पठारी प्रदेश
- नदियाँ: इस क्षेत्र में कई नदियाँ बहती हैं, जिनमें यमुना, केन, बेतवा और सोन शामिल हैं।
यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक महत्व, और ऐतिहासिक समृद्धि के लिए जाना जाता है।
उदाहरण:
- चित्रकूट: यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहाँ भगवान राम ने 14 वर्ष का वनवास व्यतीत किया था।
- प्रयागराज: यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदियाँ मिलती हैं।
- वाराणसी: यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जिसे हिंदुओं का सबसे पवित्र शहर माना जाता है।
- कालिंजर किला: यह एक ऐतिहासिक किला है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।
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7. 8. निष्कर्ष (Nishkarsh):
उत्तर प्रदेश की भौगोलिक विविधता उसके अनूठे भूगोलीय स्थिति, विविध जलवायु, विभिन्न भौतिक आकृति, और विविध जल स्रोतों के संयोजन से प्रतिष्ठित है। यहाँ पर हिमालय से लेकर गंगा नदी के समुद्र तट तक कई विभिन्न भूभाग हैं। उत्तर प्रदेश की उत्तरी ओर हिमालय पर्वतमाला स्थित है, जो शीतल जलवायु और उच्च ऊँचाईयों की विशेषता है, जबकि दक्षिणी क्षेत्र में गर्म जलवायु और मृदा भूमि होती है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में पहाड़ी तथा मध्य और पूर्वी भाग में मैदानी क्षेत्र हैं। इस प्रकार, यहाँ की भौगोलिक विविधता विभिन्न भूभागों के अनूठे संयोजन के कारण उत्कृष्ट है और प्राकृतिक संसाधनों का धन है।
- उत्तर प्रदेश की भौगोलिक स्थिति राज्य के विकास और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
- राज्य को अपनी भौगोलिक स्थिति का लाभ उठाने के लिए योजनाएं बनानी चाहिए।
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